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________________ क किमाना है। बर दी नमक पुस्तक में जमींदर द्वारा किमाना पर किए गए अत्याचारों का चित्रण किया था, परन्तु वह पुस्तक गद्य में थी ! कविता के क्षेत्र मे मैथिलीशरण गुप्त के 'किमान' ( १६१५ ई०), गयाप्रमाद शुक्ल सनेही के 'कृपक क्रन्दन' ( १६१६ ई० ) और सियारामशरण गुप्त के 'अनाथ' ( १.६१७ ई० में किसान और श्रमजीवी के प्रति जमीदार, महाजन और पुलिम आदि के द्वारा किए गए घोर अत्याचारी का निरूपण हा। द्विवेदी-युग में की गई इस प्रकार की कविताए आगामी प्रगतिशील काव्य की भित्ति क रूप में प्रस्तुत हुई। कविया की उपदेश-प्रवृत्ति मुख्यतः धर्मप्रचारको की देन थी। ईमाइवा, ब्राह्मसमाजिया, आर्यसमाजिया मनातनधर्मियों आदि ने अपने अपने मता का प्रचार करने के लिए देश के विभिन्न स्थानों में घूम घूम कर धार्मिक उपदेश दिए। उनकी सफलता से प्रभावित हिन्दी साहित्यकारों ने भी इस शैली को अपनाया । मैथिली शरण गुप्त ने अपनी 'भारतभारती' में ब्राह्मणो, क्षत्रिया, वैश्यो और शूद्री को उनके धर्म कर्म की हीनदशा का परिचय कराते हुए उन्नत होने के लिए विशेष उपदेश दिया। इस उपदेश के पात्र कवि आदि भी हुए। मामाजिक अभिव्यक्ति का तीसरा रूप-व्यंग्यात्मक उपहास-~-तीन प्रकार के विषयों को लेकर उपस्थित किया गया। कही तो नई सभ्यता मस्कृति और नए प्राचार-विचार की अपनाने वाले नवशिक्षित बाबुत्रो की हंसी उडाई गई, कहीं अपरिवर्तनवादी धार्मिक कट्टरपंथियों के समयविरुद्ध धर्माडम्बर पर हास्य मिश्रित व्यंग्य किया गया । और कही (ब) अाज अविद्या मूर्ति सी है सब श्रीमतियाँ यहा । दृष्टि अभागी देब ले उनकी दुर्गतियाँ यहा ॥ गोपलशरणसिंह--सर०, भाग, २६, संख्या ६ । (ग) निराला जी की 'विधवा' और 'भिक्षुक' [ परिमल में संकलित ] १. यथा:-... केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिए । उसमे उचित उपदेश का भी मम होना चाहिए । नैथिलीशरण गुप्त--'इन्दु', कला ५, किरण १, पृष्ठ ६५ । छठे हिन्दी साहित्य सम्मेलन का कार्य-विविरण, भाग २, पृष्ठ ४३, ४४ । २ अथा:-१६८ ई. की सरस्वती' में प्रकाशित नाथूराम शर्मा की 'पंचपुकार' । ३ बोग उतना ही बताते हैं तुम्ह रंग वितन ही बरे हों चढ़ गए पर निलक उप बाम का माना नहीं इस तरह मुम घर ग या व गए
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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