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________________ मावना का लेश भी नहा था । नाना मादल, लक्ष्मीबाई, अवध की बेगम, दिल्ली क मुग़ल, फोजी सिपाहो अादि सभी अपने अपने स्वार्थ-साधन के लिए विद्रोही हुये । यह लहर सम्पूर्ण देश में न फैल सकी । दक्षिण भारत, बंगाल और पंजाब ने तो सरकार का ही साथ दिया । राष्ट्रीय भावना के अभाव के ही कारण विद्रोह कुचल दिया गया । २६ वीं शती का उत्तराद्धसभा-समाजो और सार्वजनिक संस्थानों का युग था । 'बृटिश इंडियन एशोमियेशन' ( १८५१ ई०) 'बाम्वे एसोसियेशन', 'ईस्ट इंडिया एसोसियेशन' ( १८७६ ई०) 'मद्रास महाजन सभा' (१८८१ ई०), 'वाम्बे प्रेसीडेन्सी एमोसिएशन' ( १८८५ ई०) आदि की स्थापना इसी काल में हुई । इनके अतिरिक्त तत्कालीन धार्मिक और सास्कृतिक सभानों ने देश मे अात्माभिमान की भावना जागृत की । सरकार के अशुभ और विरोधी कानून, पुलिस का दमन, लार्ड लिटन का प्रतिगामी शासन ( १८७६-८० ई०) खर्चीला दरबार, कपास के यातायात-कर का उठाया जाना (१८७७ ई०), वर्नाक्यूलर प्रेस ऐक्ट (१८७८ ई०), अफगान युद्ध (१८७८-१८८२ ई०) श्रादि बातों ने देशवासियों को पराधीनता के शाप का अनुभव कराया । विश्वविद्यालयों में शिक्षित नवयुवको ने जनता के साथ पाश्चात्य इतिहास और राजनीति के उदाहरण उपस्थित किए । जनता में उत्तेजना बढ़ती गई। यहाँ तक कि किसी क्रान्तिकारी विस्फोट की आशंका होने लगी । दूरदर्शी ह्यूम ने दादा भाई अादि के सहयोग से राजनैतिक उदासीनता दूर करने का प्रयास किया । इमी के पल ग्वरूप १८८५ ई० में इंडियन नेशनल कांग्रम की स्थापना हुई। __सामाजिक रूप में जन्म लेकर कापस ने अपने बल पर राजनीतिक रूप धारण कर लिया। प्रारम्भ में तो अनुनय-विनय की नी ते बरती गई किन्तु ज्यां ज्यो देशवासियों का सहयोग मिलता गया त्या त्या वह अात्मतेज और आत्मावलम्बन की नीति ग्रहण करती गई। उसने धन, धर्म, जाति, लिंग, पद आदि का कोई भेद नहीं किया । विकास की प्रारम्भिक भूमिका में मधुरवाणी से काम लिया, अगरेजों की प्रशसा और अपनी राजभक्ति की अभिव्यक्ति तक की । लोकमान्य तिलक ने विदेशी शामको के प्रति घृणा के विचारों का प्रचार किया। कॉग्रेस की राष्ट्रीयता उग्र रूप धारण करती गई । उसकी वृद्धि के माथ ही साथ सरकार भी उस पर संदेह करने लगी। मितन्वर सम् १८३७ ई. में तिनक को १८ मास की कडी सजा दी गई, मैक्समूलर, हंटर आदि के कठिन अावेदनपर एक वर्ष बाद छुटे । उपर्यत राष्ट्रीय अान्दोलनों ने हिन्दी माहित्यकारों को भी प्रभावित किया । संपादको और ने समान रूप से देश की तत्कालीन राष्ट्रीय जागृति के चित्र अक्ति
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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