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________________ । २७.. । पत्रिका ) गौर शंकर हीराचन्द ओझा ( नागरीप्रचारिणी पत्रिका ) लाला भगवानदीन ( लक्ष्मी ), रूपनारायण पाडेय ( नागरी प्रचारक ), बालकृष्ण भट्ट ( हिन्दीप्रदीप), गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी ( ब्रह्मचारी ), पद्मसिह शर्मा ( परोपकारी और भारतोदय ), सन्तराम बी० ए० ( उषा और भारती), लाला सीतागम बी ए ० (विज्ञान), ज्यालादत्त शर्मा ( प्रतिमा), गोपालराम गहमरी ( समालोचक और जासूस ), माधवप्रमाद मिश्र (सुदर्शन ), द्वारिकाप्रसाद चतुर्वेदी ( यादवेन्द्र ), यशोदानन्दन अखौरी ( देवनागरवत्सर ), सम्पूर्णानन्द ( मर्यादा ), किशोरीलाल गोस्वामी (वैष्णव सर्वस्व ), छविनाथ पाडेय । साहित्य ), मुकुन्दीलाल श्रीवास्तव (स्वार्थ), शिवपूजनमहाय ( अादर्श वर्ष ), वियोगी हरि ( सम्मेलन पत्रिका ), चन्द्रमौलि सुकुल ( कान्यकुब्ज ), गणेशशंकर विद्यार्थी ( प्रभा) बालकृष्ण शर्मा ( प्रभा), पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ( सरस्वती ) आदि ने सम्पादक का श्रासन भी ग्रहण किया था। उस युग का सामयिक साहित्य मुख्यतः 'नागरी प्रचारिणी पत्रिका', 'सरस्वती', 'मर्यादा' 'इंदु', 'चाँद', 'प्रभा', और 'माधुरी' मे प्रकाशित हुश्रा । 'सरस्वती' की अग्रजा 'नागरी प्रचारिणी पत्रिका' १६०४ ई.. मे त्रैमासिक थी, १६१५ ई० में मासिक हुई और फिर १६७७ वि० में त्रैमासिक हो गई । उमका उद्देश मामान्य पत्रिकाओं से भिन्न था। प्रारम्भ में तो उसने कविता श्रादि विषयों को भी स्थान दिया था किन्तु श्रागे चलकर केवल शोधसम्बन्धी पत्रिका रह गई । 'मर्यादा' आदि अन्य पत्रिकाए 'मरस्वती' की अनुजा थीं। रूप और गुग्ण की सभी दृष्टियो मे उन्होंने 'सरस्वती का अनुकरण किया। 'मर्यादा', 'प्रभा' और 'माधुरी' के अधिकांश लेखक भी द्विवेदी जी के ही शिष्य थे। भारतेन्दु-युग की पत्रिकामी की चर्चा भूमिका में हो चुकी है। उनकी भाषा अत्यन्त लचर थी। उनका माहिल्य अत्यन्त माधारमा कोटि का था। यद्यपि द्विवेदी-युग के पूर्वार्द्ध का पत्र-साहित्य अयोध्यामिह उपाध्याय, मैथिलीशरण गुप्त आदि की कुछ रचनाओं को छोड़ कर निस्सन्देह ऊँचा नहीं है तथापि उसके उत्तरार्द्ध में मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकरप्रसाद, गोपालशरण सिह, रामनरेश त्रिपाठी, प्रेमचन्द, विश्वम्भरनाथ शर्मा, वृन्दावनलाल वर्मा, बदरीनाथ भट्ट. माखनलाल चतुर्वदो, रामचन्द्र शुक्ल, सूर्यकान्त त्रिपाठी, चंडी प्रसाद हृदयेश, चतुरमेन शास्त्री की रचनाएँ महत्वपूर्ण और स्थायी माहित्य की निधि हैं । , इस कथन का सरस्वती के विस्तारपूर्वक हो चुका
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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