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________________ अमेरिका-भ्रमण (४) उनका माणिक कीमतो था । हमारा माणिक कामता है । घहाँ पहुँचे तो देखते क्या हैं । वहा पहुंचे तो देखते क्या हैं | सत्यदेव कि पाच चार जने शराब के कि चार पांच अादमी नशे नशे में गुट्ट थे में चूर हैं उनको समझाया कि यदि उनको समझाया कि तुममे । उनमे कोई मागे कोई मांगे " [ ox7 मुहावरों का संशोधन लेखक संशोधित रूप सन् काशी प्रसाद एफ एस. ग्राउस विषय को छुबा" 'काम को उठा युक्ति विचारी सीधे पड़े . बच्चा नादमी पो हुई । विप्रथम हाथ लगाया .. काम को प्रारम्भ किया युक्ति निकाली चित लेटे बालक जान पड़ी RA सूर्यनारायण दीक्षित मधुमंगल मिन चन्द्रहास का उपाख्यान एक हो शरीर में अनेक प्रात्माएँ, ४
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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