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________________ ऋभारका का नया home श्राश्चर्यजनक घंटी । अमेरिकाके खेती पर मेरे कुछ दिन २० । देश के न्यान देने योग्त कुछ बाते हवादार मकान शहर म। हवादार भकान शहर म बने । सत्यदेव पनवाये हुये है हुए है । कोई वस्तु चोरी हुई है । कोई चीज चोरी गई है । पसे इस प्रकार म्लाई करत चले इस प्रकार खड़े कियेजाते थे उनको भी काटा गया वे भी काटे गए इन विद्यार्थियों को अयापका ये विद्यार्थी अध्यापक बनाये बनाया जावे। जॉय यहाँ कुछ चोरी नहीं हुवा यहाँ कुछ चोरी नहीं गया इस खत को अमरीकन | यह खेत श्रमरीकन बना | पना दिया है दिया गया है पासवत होनी थी । बातचीत होने की थी पृष्ठों का माग्ना देवकर | दुष्टों को मारा जाना देखकर रामचन्द्र शुक्ल इसे स्नानागार में लाया | वट् स्नानागार मे लाया | गिरिधर शर्मा जाता जाता उद बालकों को रखा । उईड' बालक रवखे जाते हैं | सत्यदेव जाता है उन लड़को को लिया जाता वे लड़के लिये जाते हैं आश्चर्यजनक घंटी अमरिका मे विद्यार्थि-जीवन [ २३६ ] - १६०६ कविता क्या है प्राचीन भारत में राज्याभिषेक अमेरिका भ्रमण । ३ "
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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