SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गजपूतना له मिण बन्धु 11 जीवन बीमा एक अशरफीकी आत्मकहानी न्याय पोर दया م १६.०८ ع अमरिका की स्त्रियाँ ه ه शर में रगटने लगा शरीर स. 'गाइने गगा पगथ नाथ महानाय प में "भूपित कर | — भेष मे भूपित कर । ज म दन का जन्मदिन पर भ ग को वर्णन करूगी भागका वर्णन करूगी वकश नारायण तिवारी जा भर को कालापानी | जन्म गरके लिए कालापानी | मिश्रबन्धु मागता है भागता है महराकर कहा मझ मे कहा मत्यदेव सत्ता में संक्षेप में मरान कह चूक में कर चुका गरेम मुझरो मझ बाला मुझम बोला इन लागी के मत में । इन लाग के मत म लक्ष्मीधर बाजाची , भाग 'हमारे वैद्यक वैद्यक के भी है भी है शास्त्र के ही मरीन पर न ही शास्त्र ही के भगेसे न रह परिपक्य दशा में पहुँच गयाया परपश्य दशाको पहुँच गया था यजन का कहा बजाने के लिए कहा काशीप्रसाद जायगवान अमरिकाके खेतों पर मेरे कुछ दिन | ع » हमारा वैद्यन शास्त्र چه سع الله عو महाराजा बनारस का कुत्रा کر
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy