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________________ १७४ | लाभार्थ उनम साधारण अध्ययन की सामग्री भी रहती थी। वे प्राचीन तथा अबाचीन साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, विज्ञान, भूगोल, धर्म, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीति, पत्रपत्रिकाओं के सामयिक प्रसंग, हिन्दी भाषा और उसके भापियों की आवश्यकताएँ, महान गुरुपो के जीवन की रोचक और महत्वपूर्ण घटनाएँ, देश-विदेश के ज्ञातव्य ममाचार, गवर्नमेट आदि में प्रकाशित सरकारी मन्तव्य नादि विषयों का एक निश्चित दृष्टि में, अपनी शैली में, समीक्षात्मक उपस्थापन करते थे । कभी कभी तो रिपोर्ट और पुस्तकें उन्हें अपने मूल्य मे मंगानी पडती थी।' __उनकी संपादकीय टिप्पणियों की भाषा मरल और सुबोध है। कहीं परिचयमात्र कही परिचयात्मक समीक्षा, कही गभीर सक्षिप्त विवेचन और कहीं व्यंग्यपूर्ण तीव्र अालोचना है। अावश्यकतानुसार चार्ट आदि भी हैं । अनुवाद की दशा में मूल रचना या रचनाकार का नामोल्लेख भी है । द्विवेदी-संपादित 'सरस्वती' की परिचयात्मक सामग्री निस्सन्देह अनुपम है । प्रतिमान, अगरेजी, बॅगला, मराठी, गुजराती, उर्दू, हिन्दी और संस्कृत की 'पत्रपत्रिका श्री से संकलित मामग्री उनके उत्कट अध्ययन और असाधारण चयनशनि की द्योतक है । यपि उनके अधिकांश नोट दूसरों के व्याख्यानो और लेखा पर आधारित हैं तथापि उनकी अभिव्यंजना-शैली अपनी है। उनमे प्रभावोत्पादक व्यंग्य और मनोरंजक तात्विक विवचन हैं। वे सचमुच साधारण जान के भाडार हे । किसी भी वस्तु की सुन्दरता या असुन्दरता, महत्ता या लघुता, गुण या दोध ममी मापेक्ष हैं । द्विवेदी जी द्वारा दिए गए 'पुस्तकपरिचय' की श्रेष्ठता का वास्तविक ज्ञान तत्कालीन अन्य हिन्दी-पत्रिकामो की तुलना से ही हो मकता है। 'छत्तीमगढमित्र' के 'पुस्तक-प्राप्ति और अभिप्राय' खंड के अन्तर्गत दो पुस्तकों का परिचय इस प्रकार दिया गया है: (१४) धागधरधावन, प्रथम और द्वितीय भाग, तथा (१५) साहित्यहत्या, श्रीयुत राय देवी प्रमाद पूर्ण बी. ए. वकील कानपुर, द्वारा समालोचनार्थ प्राप्त । अवकाश पाते ही ममालोचना की जायेगी। यह है तत्कालीन हिन्दी-संपादकी की पुस्तक-परीक्षा का एक उदाहरण । द्विवेदी जी ने सपादक के कर्तव्य की कभी भी हत्या नहीं की। उन्होने जिन पुस्तकों को विशेष महत्वपूर्ण 1 'सरस्वती' भाग १४ पृ. ४१५ २ २ ३ अक ५ पृ. १३७
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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