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________________ संपारकाचाय मानता और उनको पण्य स्मृति म य श्रद्धानलि अपण करता हू "" 'मरम्बती' के प्रकाशन के बाद भी अन्य हिन्दी-पत्रिकाओं का मान ऊँचा न हुआ । 'छत्तीमगढ मित्र'.२ 'इन्दु', 'समालोचक', 'लक्ष्मी'५ 'विद्याविनोद'६ अादि अधिकांश पत्रिकामो मे संपादकीय टिप्पणियों का ग्बंड था ही नहीं। जिनमें था भी उनमें अत्यन्त गिरी दशा में । हिन्दी प्रदीप की विषय-सूची में कभी कभी मपादकीय टिप्पणिया में बंड का उल्लेख ही नहीं मिलता। उनकी पचीमवीं जिल्द की संख्या ५-६-७ के लघु लेख मम्भवतः विविध वार्ता के रूप में लिम्बे गए हैं । 'अानन्द कादम्बिनी' का 'संपादकीय सम्मति ममीर' अपेक्षाकृत अधिक व्यापक था। भारतेन्दु' के ग्बंड १, मंख्या १, अगस्त ११०५ ई. के संपादकीय टिप्पणिया' ग्वंड के अन्तर्गत केवल तीन लघुलग्यो (भूमिका, 'दाढी की नाप' और 'धडकन') का ममावेश किया गया है। एक बार 'भारती' पत्रिका की अालोचना करते हुए द्विवेदी जी ने लिम्बा था--'इसके विविध विषय वाले स्तंभ की बाते बहुत ही मामान्य होती हैं। उदाहरणार्थ 'एक चोर की जल मे मृन्यु' का हाल अाध कालम में छपा है। मतलब यह कि मंपादक महाशय ने नोटो और लेखों को उनकी उपयोगिता का विचार किए बिना ही प्रकाशित कर दिया है ।१० द्विवेदी जी ने इस प्रकार की कोरी अालोचना ही नहीं की वरन् हिन्दी-संपादकी के समक्ष श्रादश भी उपस्थित किया । उनके विविध विषय ममाचार-मात्र नहीं होते थे । उनकी टिप्पणियां का उद्देश्य था 'सरस्वती' के पाठका की बुद्धि का विकाश करना । पाठको के १. बाबू गव विष्णु पगड़कर, साहित्य संदेश , भा॰ २, सं० ८, पृ० ३१२, २. वर्ष ३ रा, अक १ ला. ३. कला 3, किरण १, स. १९६६ । इसमें प्रकाशित 'मनोरंजक बार्ता' और 'समाचार ___स्तम्भ सम्पादकीय टिप्पणियों की अभावपूर्ति नहीं करते। ४. अगस्त, १६०२ ई० १ भाग ५. अंक १. । इसका भी 'समाचार स्तम्भ सम्पादकीय विविध-वार्ता की रिक्तता का पूरक नहीं हो सकता। ६. नवम भाग, १६०२-३ ई० ७. जिल्द १५, संख्या १-२, जनवरी-फरवरी,१६०३ है. ८. सभ्यता पिशाची सर्वनाशकारी हुई, परमोनम नार्थ और धुन ६. माला ४, मेघ ८-६ की विषय-मची नवीन सम्बन्मर, उदारता, चेन का पुरस्कार, स्वामी रामतीर्थ, हर्ष, यथार्भ प्रजा हिन शोफ चैतन्य जगत । १ सरस्वनी', भाग 4 , ३७२
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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