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________________ सातवा अध्याय सरस्वती-सम्पादन १६ वी शती के हिन्दी-पत्रों की अवस्था का निरूपण भूमिका में हो चुका है। १८६७ ' में प्रकाशित होने वाली 'नागरी प्रचारिणी पत्रिका" का उद्देश्य था मादित्यक अनुसन्धान प्रौर पर्यालोचन । पाठकों का मनोरंजन, हिन्दी के विविध अगो का पोपण, परिवर्धन और कवियों तथा लेग्वको को प्रोत्माहित करने की भावना से प्रेरित और काशी नागरी प्रचारिणी ममा के अनुमोदन से प्रतिष्ठित सचित्र हिन्दी मासिक पत्रिका सरस्वती' का प्रकाशन १६०० ई० से प्रारम्भ हुा । कदाचित् कार्यगुरुता के कारण और जनता का ध्यान आकृष्ट करने के लिए पहले वर्ष इसकी सम्पादक-समिति में पाच व्यक्ति थे--कार्तिकप्रसादखत्री, किशोरी लाल गोस्वामी, जगन्नाथदास बी० ए०, राधाकृष्ण दाम और श्यामसुन्दर दास । प्रथम बारह संख्याओं में सम्पादकों के अतिरिक्त केवल दस अन्य लेखको ने लिखा । पत्रिका का क्लेवर १६ मे २१ पन्नों तक ही मीमित रहा 'सरस्वती' के पहले अंक के विपय निम्नलिखित १. भूमिका २. भारतेन्दु हरिश्चद्र- जीवनी ३. सिम्बेलीन-महाकवि शेक्मपियर रचित नाटक की श्राख्यायिका का मर्मानुवाद । ४. प्रकृति की विचित्रता- कुत्ते के मद्द वाला अादमी श्रादि ५. काश्मीर-यात्रा ६. कवि-कीर्ति कलानिधि--अर्जुन मिश्र ७. श्रालोक-चित्रण अथवा फोटोग्राफी लेख संख्या ६ को छोडकर सभी लेग्य मम्पादकों के थे। प्रथम अंक की प्रारम्भिक भूमिका में ही 'सरस्वती' ने अपने उद्देश्य और रूपरेखा का सुन्दर शब्दचित्र अंकित किया था।' खेद है कि प्रथम तीन वर्षों तक उसकी यह प्रतिज्ञा १६...... हिन्दी के उत्साहिया, हितैपियो, उन्नायकी, रसज्ञो और सहयोगियों से ऐमी असंडनीय आशा क्या न की जाय कि चे लोग सब प्रकार से अपनी बहुलता की शीतल छाया में इम नवीन वालिका को प्राश्रय देने में कदापि परान्मस्य न होंगे कि निनफे मन्मम्ब
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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