SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लाचनप द्वति ३ युग की दृष्टि म द्विवदीत अालोचना का मूल्याक्न १३४ ४ हिन्दी कालिदास की समालोचना १३५, ५. द्विवेदी जी की शालोचनाओं में दो प्रकार के द्वन्द्वों की परिणति १३७, ६. 'कालिदास की निरंकुशता' १३७, ७. 'नैपबचरितचर्चा' और 'चिक्रमाकदेवचरितचर्चा' १३८, ८ 'आलोचनाजलि' १३८, ६, कालिदास और उनकी कविता'१३६, १० संस्कृत-साहित्य पर द्विवेदीकृत अालोचना के मूल कारण १४०, ११. 'हिन्दीशिक्षावली ततीय भाग की समालोचना' १४०, १२ 'समालोचनासमुच्चय' १४१, १३, 'विचारविमर्श' और 'रसज्ञारंजन' १४२, १४. श्रालोचक द्विवेदी की देन १४२ छठा अध्याय निबन्ध (१४३-१५६) १. निबन्ध का अर्थ १४३, २. बालोचक द्विवेदी द्वारा निबन्धकार द्विवेदी का निर्माण १४४, ३. सम्पादक- द्विवेदी के निबन्धो का उद्देश १४५, ४. द्विवेदी जी के निबन्धों के मुल १४५, ५. द्विवेदी जी के निबन्धों के रूप १४६ ६. विषय साहित्य जीवनचरित विज्ञान इतिहास १४८ भूगोल उद्योगशिल्प १४६ भाषाव्याकरण १४६ अध्यात्म १४६ ७, उद्देश की दृष्टि से द्विवेदी जी के निबन्धो के प्रकार ८ द्विवेदी जी के निबन्धों की ३ शैलिया वर्णनात्मक भावात्मक १५२ चिन्तनात्मक १५३ ६ भाषा और रचनाशैली १५४ १. निबषों म द्विवेदी जी का स्थिर एवं गतिशील १५०
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy