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________________ परम्परा किसे कहैं । 103 और कार्यपद्धति भी हो सके वहाँ तक वही चालू रखकर वह आगे बढता है । सामाजिक सुधार इसी प्रकार होता है । वालको के शरीर, मन और समझ शक्ति में भी जो प्रगति होती है वह भी परम्परा निभाकर ही होती है । परम्परा यानी क्रमयुक्त प्रगति । ____ यही बात किसी कवि ने कही है कि-बुद्धिमान मनुष्य जब चलता है तब एक पैर स्थिर रखकर दूसरा आगे रखता है, बाद मे उसे स्थिर रखकर पीछे का उठाकर आगे ले जाता है । नयी जगह निहार कर स्थिर करने के बाद ही पीछे की जगह छोडना, इसी मे बुद्धिमानी है । ऐसी बुद्धिमानी के साथ आगे बढना, प्रगति करना तो होना ही चाहिये । ऐसी प्रगति जो धर्म करता आया है उसी को हम सनातन धर्म कहते है । सनातन ही नित्य नूतन होता है। १५ मई १९६६
SR No.010411
Book TitleMahavira ka Jivan Sandesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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