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________________ महावीर क अ तर ल [४७ शर्मा-पर स्त्री बच्चों का क्या होता ? मैं- यह ठीक है, एक बैल दो गाड़ियों में एक साथ नहीं जुन सकता; और यही कारण है कि मुझे क्रांति के लिय गृहत्याग की तैयारी करना पड़ रही है। ऐसे संन्यास के लिये तैयार होना पड़ रहा है जो क्रांतिकारी कर्मयोग की भूमिका बनसके । विष्णुशर्मा कुछ देर चुपरहे, फिर बोले-आपसे में बहुत बात कहने, या कहने नहीं सिखाने, आया था, किन्तु आपकी बातें सुनकर वे सब भूलगया हूँ। सत्रमुत्र संन्यास को कर्मयोग की भूमिका बनाना या कर्मयोग को संन्यास का वेष पहिनाना एक अद्भुत आविष्कार है । हां! मार्ग कठिन है । आप राजवंशी है इसलिये देखिये ! जनक और श्रीकृष्ण की राह पर चलकर आप क्रांति की तैयारी कर सकें तो चेष्टा कीजिये। . मैं-झुपनिषत्कारों का उल्लेख करके आप स्वयं कहचुके है कि अभी तक शुन्हें कोई सफलता नहीं मिली है। जनक और कृष्ण भी सेर में पानी नहीं कात पाये थे । इसके लिये बड़े पैमाने पर नये ढंग के बलिदान की जरूरत है । अब पुराने चिथड़ो से थेगरा लगाने से काम न चलेगा, नया कपड़ा ही बुनना पड़ेगा। शर्माजीने गहरी सांस ली और बोले-आशीर्वाद देने योग्य तो नहीं हूं किन्तु वय के मान से आपसे बड़ा हूं और उसी हैसियत से आप को आशीर्वाद देने का साहस करता हूं कि आप अपने प्रयत्न में सफल हो। यह कहकर विष्णुशर्मा चले गये। उनके जाते ही देवी आई, वे पाल में ही छिपे छिये सब
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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