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________________ ३३ दिसम्बर शुदो ३० दिसम्बर शंदा ३. दिसम्बर शेगुंदो ६-उपसंहार-- जैन धर्म का मुख्य आधार महात्मा महावीर का जीवन, व्याक्तित्व और विचार है । जैनधर्म की सच्चाई सुरक्षित रखने के लिये उसमें पूर्ण वैज्ञानिकता और विश्वसनीयता लाने की लग्न जरूरत है । और उसके लिये ये दी वान महावीर जीवन में भी लाने की जरूरत है। जो वैज्ञानिकता विविध रूपमें हमारे उदयों में चारों तरफ से प्रवेश कर रही है और कर चुकी है. यदि जैन धर्म उसकी कसौटी पर ठीक नहीं उतरता तो जैन धर्म जीवन का अंग नहीं बन सकता, और जो जीवन का अंग नहीं बन सकता उसकी श्रद्धा जीवन पर बोझ ही होगी. वह पत्रकार काम न आयगी। यदि धर्म के लिये हमें वैज्ञानिकता विचारकता यादि का बलिदान करना पड़े तो हम हवान होजायेंगे, और वैज्ञानिकता के लिये यदि धर्म का बलिदान करना पड़े तो शंतान होजायेंगे, मानचता की रक्षा के लिये दोनों का समन्वय जरूरी है। इस अन्तस्तल में महावीर जीवन और जैनधर्म इस कपम उपनियन किया गया । कि वैज्ञानिक जैनधर्म वास्तविक जैनधर्म और बालविका महानी. जीवन मूर्तिमन्त होजाता है। जैनधर्म में अनेक सम्प्रदाय बन गये। जिनके ना भेद निःसार हैं । इल अन्तस्तल के पदने से उन छोटे छोटे सम्म दायों से ऊपर वास्तविक जैन धर्म के दर्शन होते हैं। जो लोग सुधारक है और साम्प्रदायिकता को हीर. नां समझते, चे साम्प्रदायिकता को गाली देते रद हमने कुछ न होगा । उन्हें बसाम्प्रदायिक उदार वैज्ञानिक जैनधर्म यताना होगा।
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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