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________________ महावीर का अन्तस्तल Param इस समाचार से चतुर मृगावती ने आत्मरक्षा का उपाय हूँढ़ निकाला । सुसने नगर के फाटक खोल दिये और बालक राजकुमार को लेकर मेरे दर्शन को आई । चण्डप्रद्योत भी वहीं बैठा था । इस अवसर को लक्ष्य में रखकर, और चण्डप्रयोत को पाप से निवृत्त करने के लिये मन प्रवचन किया बहुत से पुरुष सौन्दर्य के आकर्षण में पड़कर जिस किसी स्त्री की तरफ खिंच जाते हैं और स्त्री की भावना का खयाल नहीं रखते । पर वे यह नहीं सोचते कि जिस स्त्री पर वे वलात्कार करना चाहते हैं वह पहिले जन्म की मां भी होस. कती है, बहिन भी होसकती है, पुत्री भी होसकती है। और नारी के ऊपर अत्याचार करने से अगले जन्म में उन्हें भी नारी चनकर अत्याचारों का शिकार बनना पड़ सकता है। इस विषय में एक श्रीमन्त सुनार की कथा है चम्पा नगरी में एक धनी सुनार रहता था। वह अत्यन्त कामुक तथा सौन्दर्य लोलुपी था। जिस किसी सुन्दर स्त्री को देखता, पैले के बलपर शादी कर लेता। इसप्रकार उसके पास पांचसो पत्नियां होगई । वह प्रतिदिन एक एक स्त्री को अपने पास बुलाता था। इसप्रकार बहुत दिनों बाद स्त्री का नम्बर आता था । इसलिये सुसे सन्देह रहता था कि ये स्त्रियाँ व्यभिचारिणी न होजायँ इसलिये उनको वह भीतर बन्द रखता था और दरवाजे पर पहरा देता था । दिनको भी कहीं न जाता था। एक दिन किसी जरूरी काम से उसे बाहर जाना पा, नेचारी स्त्रियों को कुछ स्वतन्त्रता मिली और उस दिन सुनने खूब ऊधम मचाया। सुनार जब आया तो उसे स्त्रियों को ऊधम करते देखकर बड़ा क्रोध आया और एक स्त्री को पकड़ कर उसने उसे इतना मारा कि वह बेहोश होकर मरगई : वालो स्त्रियों ने जब यह देखा तब उन्हें बड़ा क्रोध आया और सबने
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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