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________________ २७८] महावीर का अन्तस्तल ..... ... ...." """ से यही विश्वास करते थे और अब भी करते होंगे, कि पहिले में इन्ही के गर्भ में आया था वाद में नेगमेती देव ने हरण करके त्रिशलादेवी के गर्भ में रख दिया था। अस्तु, किंवदान्तयाँ तो कुछ की कुछ हो ही जाती है पर इसमें सन्देह नहीं कि इन्हें मेरी मां कहलाने का पर्याप्त अधिकार है। जन्मभूमि में मेरा प्रचार हुआ है । प्रियदर्शना दीक्षित हुई है, उसका पति जमालि भी दीक्षित हुआ है, और भी अनेक क्षत्रिय और ब्राह्मण दीक्षित हुए हैं । प्रचार की दृष्टि से जन्मभूमि दर्शन सफल हुआ है। ७५ - जयन्ती के प्रश्न २८ चन्नी ९४४५ इ. सं. ___ जन्मभूमि की तरह करीब एक वर्ष विहार कर और वैशाली में अपना चौदहवां चातुर्मास पूरा कर वत्स भूमि में आया और अनेक ग्रामों में धर्म प्रचार करता हुआ कौशाम्बी आया और नगर के बाहर इस चन्द्रावतरण चैत्य में ठहरा। . कौशाम्बी इस समय बुद्धिमती और व्यवहार कुशल महिलाओं के लिये कुछ प्रसिद्ध होरही है । शतानिक राजा के शीघ्र मर जाने से उसका पुत्र यहां का राजा झुदयन तो अभी बालक है इसलिये शासन कार्य राजमाता मृगावती चलाती है। मृगावती ने चण्डप्रद्योत सरीखे प्रचंड राजा से अपने राज्य की और शील की रक्षा बहुत चतुरता और साहस के साथ की है । मुगावती की ननद जयन्ती बहुत जिज्ञासु और विदुषी महिला है, आतिथ्य सत्कार में भी यह बहुत प्रसिद्ध है। . __ आज मेरे प्रवचनमें ये सब महिलाएँ उपस्थित थीं। अंबचन के समाप्त होने पर सब लोग तो चले गये पर जयन्ती
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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