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________________ १६४] महावीर का अन्तस्तल राजतंत्र में भी वुराइयाँ हैं। शासन निरंकुश होजाता है पर गणतंत्र की बुराइयाँ उससे भी अधिक है। १- गणतंत्र में एक वर्ग शासक वनजाता है। क्षत्रिय वर्ग को छोड़कर प्रजा का प्रत्येक वर्ग उसका शिकार होता है। एक राजा को सन्तुष्ट रखने की अपेक्षा एक विशाल वर्ग को हर तरह सन्तुष्ट रखने में प्रजा का धन और मान काफी नष्ट होता है । राजा तो वर्ष में एकाध दिन भूला भटका मिलेगा, तब उसे प्रणाम करलिया जायगा, लेकिन ये गली गली फिरने वाले राजा न जाने दिन में कितने वार मिलते हैं इनको प्रणाम करते करते जनता की कमर झुकजाती है। राजसेवकों को राजा का डर रहता है, पर गणतंत्र में ये सब अपने अपने को राजा समझते हैं इसलिये इन्हें किसका डर ? अध्यक्ष तो इन्हीं का चुना हुआ होता है इसलिये वह इनके साथ किसी तरह की कड़ाई नहीं कर सकता । इस प्रकार गणतंत्र क्षत्रियों को छोड़कर बाकी समस्त जनता को अत्यन्त कष्टकर होता है । २- राजतंत्र में राजा अपने खास खास स्वजन परि जनों के बारे में ही पक्षपाती होता है इसलिये अन्हीं के साथ संघर्प होने पर जनता पर अन्याय होने की आशंका रहती है पर गणतन्त्र में एक विशाल वर्ग में से किसी एक के संघर्ष होने पर अन्याय होने की पूरी सम्भावना रहती है । गणतंत्र में तीन वर्गों पर एक वर्ग का शासन रहता है, राजतंत्र में चारों वर्गों पर एक व्याक्त का शासन रहता है। . ३- गणतन्त्र में शक्ति विकेन्द्रित होजाती है इसलिये .. राज्य बहुत समय तक वलंबान नहीं रह पाता, आपसी प्रतिस्पर्धा आदि से शाक्त आपस में ही कट जाती है। इसलिये गृहयुद्ध और परचक्र युद्धों की संख्या बढ़जाती है इससे जनता के जनधन का काफी नाश होता हैं ।
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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