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________________ वहीं कठोर तप, एकाग्र ध्यान एवं उत्कृष्ट ज्ञाना की आभा भी दर्शकों को प्रभावित कर लेती थी। प्र. १११ म. स्वामी से प्रभावित लोगों को देखकर कौन घबरा गये थे। महावीरा के प्रति लोक श्रद्धा उमड़ती देखकर. वहाँ के निवासी अच्छंदक जाति के ज्योतिषी घबरा गये थे। प्र. ११२ म. स्वामी से अच्छंदकोने क्या प्रार्थना की थी? "देवार्य ! हमें शंका है, यहाँ आपकी उपस्थिति से हमारे धंधे को चोट पहुँचेगी। कहीं हमारे बाल-बच्चों को भूखों मरने की नौबत न आ. जाये। आप तो श्रमण है, स्वयं वुद्ध है. कहीं भी जाकर अपनी साधना तपस्या कर सकते: हैं, हम बाल-बच्चे वाले गृहस्थी कहाँ जायेगे? कृपा कर हमारी रक्षा कीजिये।" प्र. ११३ म. स्वामी ने अच्छंदको की प्रार्थना सुनकरः क्या किया था ? वीरता की मूर्ति महावीर अपने कष्ट में वन से भी कठोर थे, पर दूसरों के कष्ट के प्रति .
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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