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________________ ( ६२ ) ( २ ) सेवा में रत श्वेत कोकिल पक्षी । ( ३ ) सेवा में चित्र-विचित्र पांखों वाला कोकिल पक्षी । ( ४ ) सुवर्णमय और रत्नमय दो पुष्पमालाएँ । (५) सेवा में उपस्थित श्वेत गो वर्ग । (६) पुष्पित कमलों वाला विशाल पद्म-सरोवर (७) महासमुद्र को भुजात्रों से पार करना । ( ८ ) जाज्वल्यमान सूर्य का आलोक चारों ओर फैल रहा है । ( ६ ) अपनी अंतड़ियों से मानुषोत्तर पर्वत को आवेष्टित करना । (१०) मेरू पर्वत पर चढ़ना । प्र. १०६ म. स्वामी के स्वप्न का फल क्या था ? उ. श्रमण भगवान महावीर द्वारा देखे गये दस स्वप्न और उनका फलितार्थ : स्वप्न (१) अपने हाथ से ताल पिशाच को मारना । (२) सेवा में रत श्वेत कोकिल पक्षी | (३) सेवा में रत चित्रविचित्र पांखों वाला 'कोकिल पक्षी । फल (१) आप मोहनीय कर्मका शीघ्र नाश करेंगे । (२) आप शुक्ल ध्यान में रत रहेंगे । (३) विविध ज्ञानमय द्वादशांगी की प्ररू परणा करेंगे।
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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