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________________ ( २० ) प्र. १५ म. स्वामी का जन्माभिषेक किस प्रकार किया गया ? उ. इन्द्र ने पाँच रूप धारण कर स्वर्ण, रौप्य, मिट्टी और रत्नों के हजारों कलशों द्वारा बाल प्रभुं का जन्माभिषेक किया था । प्र. १६ म. स्वामी अनंत शक्ति के धारक थे वह किस प्रसंग से जाना गया ? उ. सुमेरू पर्वत पर स्वर्णादि कलशों द्वारा जल भर-भर कर देवगण वाल प्रभु का जलाभिषेक कर रहे थे । निरंतर जलधारा प्रवाह से नवजात शिशु को कष्ट न हो जाय, ऐसी आशंका से देवराज ने संकुचित होकर देवताओं को रोकने की कोशिश की। तीन ज्ञानधारी शिशु वर्धमान ने देवराज के मन की आशंका को जान लिया । सहज बाल - लीला के रूप में उन्होंने वाँये पाँव के अंगूठे से सुमेरू पर्वत को जरा सा दवाया । सुमेरू प्रकँपित हो उठा । इससे देवराज इन्द्र को भावी तीर्थंकर की अनन्त शक्ति का अहसास हो गया और वे निःशंक वने । -
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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