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________________ ( ३४२ ) aaa उ. महानिर्वाण पद को प्राप्त कर सिद्धशिला पर परम ज्योति में ज्योति मिलाई तब । प्र. २४ म. स्वामी ने कितने अघाती कर्मों का क्षय किया था? उ. चार । प्र. २५ म. स्वामी ने कौन २ से अघाती कर्मों का क्षय किया था? उ. वेदनीय, आयुष्य, नाम, गोत्र । प्र. २६ म. स्वामी कौनसे आरे में मोक्ष पधारे थे ? उ. चतुर्थ आरे के अन्त में। प्र. २७ म. स्वामी मोक्ष पधारे तब चतुर्थ आरा कितना वाकी था? उ. ३ वर्ष ८ माह। प्र. २८ म. स्वामी के शासन में मोक्ष जाने का प्रारंभ कब हुआ था ? म. स्वामी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई उसके चार वर्ष वाद। प्र. २६ म. स्वामी के निर्वाण के बाद कहाँ तक मोक्ष में जाने का मार्ग खुला रहा ? ' तीन पाट तक ( तीन शिष्य-प्रशिष्य तक )।
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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