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________________ ( ३२७ ) अव्यक्तजी, मंडितजी अंकपितजी और मौर्य- पुत्र गणधर । प्र. ६५६ म. स्वामी ने ४२वाँ चातुर्मास कहाँ किया था ? पावापुरी (आपापापुरी) में | उ. प्र. ६५७ म. स्वामी ने चातुर्मास कहाँ किया था ? रज्जुग सभा में । उ. प्र. ६५८ रज्जुग सभा किसकी थी ? उ. अपापापुरी के राजा हस्तिपाल की । प्र. ६५६ म स्वामी के पास कौन प्रश्न पूछने आया था ? ' पुण्यपाल ने प्रभु से आठ स्वप्न का फल पूछा था उ. प्र. ६६० म. स्वामी से स्वप्न फल जानकर राजा ने क्या किया था ? .3. प्रभु से स्वप्नफल विस्तार से जानकर राजा ने दीक्षा ले ली । प्र. ६६१ म. स्वामी ने अंतिम देशना कब दी थी ? उ. आश्विन कृष्णा - १४ और अमावस्या के दिन | प्र. ६६२ म. स्वामी ने अंतिम देशना कितने प्रहर दी थी ? अखंड १६ प्रहर (४८ घंटे) तक । उ. प्र. ६६३ म. स्वामी की देशना के समय समवसरण में - धरण करने कितने तरह की आती है ? परिषदा :
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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