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________________ ( २६७ ) व्यर्थ ! मगध के शासन-तंत्र के नाक में दम ग्रागया । प्र. ३७२ रोहिणेय किसकी योजना से पकड़ा गया था ? अभयकुमार की । उ. प्र. ३७३ अभय कुमार ने रोहिणेय द्वारा अपराध को स्वीकार कराने के लिए क्या उपाय किया था ? अभय कुमार રે हर संभव प्रयास किया, पर रोहिणेय ने अपना कुछ भी अपराध स्वीकार नहीं किया । आखिर देवविमान की तरह सजे हुए सात मंजिले महल में मादक सुरा पिलाकर उसे पर्यक पर सुलाया गया । उ. उ. प्र. ३७४ रोहिणेय ने नशा उतरने पर क्या देखा था ? रोहिणेय नशा उतरने पर विस्मित रह गया । आसपास के वातावरण को देखकर वह सोचने लगा - क्या, वह किसी स्वर्ग में पहुंच गया है ! प्र. ३७५ ग्रप्सराओं ने रोहिणेय से क्या कहा था ? श्रप्सरा जैसी दासियाँ आकर "जय ! विजय" के साथ मधुर स्वर में बोली- "श्राप हमारे स्वामी हैं, अभी-अभी श्राप पृथ्वी लोक से प्रयाण कर एस स्वर्ग विमान में अवतरित हुए हैं मायच 3.
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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