SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 282
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २५६ ) सम्राट! आप कैसी बात करते हैं ? सामा यिक कभी बेची जा सकती है । प्र. ३३२ पूरिगया श्रावक की बात सुनकर महाराजा. श्रेणिक ने क्या कहा था ? क्यों नहीं, प्रभु महावीर ने कहा है-पूणिया की एक सामायिक यदि मैं खरीद लुतो मेरी नरक गति टल सकती है ? बोलो, क्या मूल्य उ. चाहते हो? प्र. ३३३ पूणिया ने सामायिक के मूल्य के सम्बन्ध में परिणक से क्या कहा था ? राजन् ! जब प्रभु महावीर ने ऐसा कहा है तो उसका मूल्य भी उन्हीं से पूछ लीजिये। मैं नहीं बता सकता। प्र. ३३४ म. स्वामी के पास जाकर श्रेणिक ने क्या कहा था ? भंते ! पूणिया श्रावक सामायिक बेचने को तैयार है, मैं उसका जो भो मूल्य होगा। दे दूंगा । आप कृपा करके इतना बता दीजिये कि एक सामायिक का मूल्य क्या होना चाहिये । . ३३५ म. स्वामी ने श्रेणिक. को. उद्बोधित करते हुए क्या कहा था ? . . .
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy