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________________ ( २३६ ) महाराजा उदायन भगवान महावीर के चरणों में पहुँचे और दीक्षित हो गए । प्र. २७३ म. स्वामी सिंधु सौवीर से विहार कर कहां पधारे थे ? उ. पश्चिमांचल सिंधु - सौवीर से पूर्वांचल की ओर । प्र. २७४ म. स्वामी ने १७वां चातुर्मास कहां किया था ? वाणिज्य ग्राम में | उ. उ. प्र. २७५ म. स्वामी ने १७ वें चातुर्मास के बाद किस ओर विहार किया था ? वाराणसी नगर की ओर । उ. प्र. २७६ म. स्वामी वाराणसी नगर में कहां विराजे थे ? वाराणसी नगर के बाहर कोष्ठक चैत्य में । उ. प्र. २७७ म. स्वामी के पास किसने श्रावक पडिमा धारण की थी ? चुल्लनी पिता और सुरादेव ने अपनी पत्नी के साथ श्रावक पडिमा धारण की थी । प्र. २७८ म. स्वामी वाराणसी से विहार कर कहां पधारे थे ? उ. उ.:.. मालंभिका नगर में । प्र. २७६ म. स्वामी आलंभिका नगर में कहां विराजे थे ?
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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