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________________ ( २३३ ) प्र. २४८ धन्यकुमार ने अपनी पत्नी के उदासी का कारण जानकर क्या कहा था ? "क्यों चिन्ता कर रहो हो ? उसका वैराग्य नकली है, एक-एक पत्नी को छोड़नेवाला कभी साधु-धर्म के प्रसिधारा पथ पर नहीं चल सकता।" प्र. २४६ धन्यकुमार की बात सुनकर उसकी पत्नी ने : क्या कहा था ? - उ. "आपसे तो वह भी नहीं हो रहा है, किसी का ...: मजाक करना सरल है, त्याग करना कठिन... ... कठिनतर है। प्र. २५० धन्यकुमार को अपनी पत्नीकी बात सुनकर क्या हुआ था ? धन्यकुमार' के मन में सहसा एक चिनगारी जगी-"अच्छा, तो लो, हमने आज से सभी पत्नियोंको एक साथ छोड़ दिया।" प्र. २५१ धन्यकुमार पत्नियों को त्यागकर कहां चल दिया था? ..... धन्यकुमार घर से निकलकर शालिभद्र के पास पहुँचे और कहा-“यदि वैराग्य सच्चा है तो
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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