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________________ (२२६ ) श्रीमंत और उदार लोग बसते है, जिनके वैभव और भोग-साधनों की थाह पाना कठिन है। राजा को जिज्ञासा हुई कि आखिर उसका . . . पुत्र कैसा है, जिसकी पत्नियाँ देव-दुर्लभ रत्न कम्बल के पाद प्रोच्छन बनाकर फेंक देती है। प्र. २३७ महाराजा श्रेणिक ने शालिभद्र को देखने के लिए क्या किया था ? उ... राजा ने भद्रा को कहलाया-"वे आपके पुत्र शालिभद्र को देखना चाहते है। .. प्र. २३६ भद्रा ने राजा के संवाद को सुनकर क्या ..... किया था.? : .. उ. भद्रा असमंजस में पड़ गई । शालिभद्र अाज तक सातवीं मंजिल से नीचे ही नहीं उतरा था, - उसे लोक-व्यवहार का कुछ भी पता नहीं था। राजा कहीं अप्रसन्न न हो जाय, अतः वह स्वयं राज-दरबार में गई और महाराज से प्रार्थना की ' महाराज ! शालिभद्र आज तक कभी महल से नीचे नहीं उतरा, वह बहुत ही सुकुमार है, यहाँ आने में उसे बहुत कष्ट होगा, अतः कृपा कर आप सपरिवार मेरे घर - पर पधारकर आतिथ्य स्वीकार करें।"
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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