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________________ ( २२६ ) उ. प्रभु को वंदन-नमस्कार कर, अनुमति लेकर विनय पूर्वक प्रश्न पूछे थे । प्र. २२६ म. स्वामी ने १५वाँ चातुर्मास कहाँ किया था ? उ. वाणिज्यनाम में। प्र. २२७ म. स्वामी के पास चातुर्मास में किसने श्रावक व्रत अंगीकार किया था ? आनन्द गाथापति ने। प्रे. २२८ म. स्वामी के पास आनन्द गाथापति ने कौन कौन धावक व्रत अंगीकार किये थे? . आनन्दने समस्त मर्यादा महावीर के समक्षप्रकट की और उसके उपरांत वस्तु-सामग्रीसेवन का त्यागकर पांच अणुव्रत, तीन गुणवत और चार शिक्षावत रूप श्रावक के बारह व्रत ग्रहण किये। प्र. २२६ प्रानन्द गाथापति की पत्नी का नाम क्या था ? उ. आनंदकी धर्मपत्नी का नाम शिवानन्दा था। वह अत्यन्त रूपवती और पतिभक्तिपरायणा थी। आनन्द से श्रावक धर्मकी बात सुनकर शिवानन्दा के मन में धर्म-जिज्ञासा जागी। वह भी प्रभुकी धर्मसभा में गई और तत्त्व-बोध को सुनकर श्रावक धर्मको ग्रहण किया।
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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