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________________ प्र. १७५ म. स्वामी की स्वीकृति पाकर मेघकुमार ने क्या किया था ? उ. ( २०१ ) आत्मा को सुखकी प्राप्ति हो, उस कार्य में विलम्व मत करो ! " उ. प्रभु की स्वीकृति पाकर मेघकुमार अपने माता-पिता के पास पहुँचा । प्रभुकी वाणी की दिव्यता, आत्म जागृति की प्रेरणा और संसार त्याग कर श्रमरण वनने की भावनाएक ही सांस में उसने व्यक्त कर डाली । माता-पिता का स्नेह, वात्सल्य और मोहममता मेघकुमार को रोक नहीं सके । वैभव का प्रलोभन और यौवन - सुख की लालसा तो उसे धूल से भी प्रसार लगने लगी । राज प्र. १७६ मेघकुमार की बात सुनकर माता-पिता को क्या हुआ था ? राजकुमार मेघकी संसार त्याग कर श्रमण बनने की बातें सुनते ही महाराज श्रेणिक दिग्मूढ़ से रह गये. महामाता धारिणी रानी मर्माहत - सी हो गई। दोनों की आँखों में श्रश्र - प्रवाह उमड़ पड़ा। श्रेणिक और
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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