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________________ ; भवन जनवरी १९८३ में बनकर तैयार हो गया १० फरवरी १९८३ को इस भवन का उद्घाटन श्रीमती विद्यावती जैन धर्मपत्नी श्री जगदीश रायजी जैन के करकमलों द्वारा सोल्लास सम्पन्न हुआ और इसका नाम अहिंसा भवन रखा गया । भवन निर्माण व उद्घाटन के पश्चात् हमारे मन में तीव्र स्पृहा थी कि पूज्य साधु-मुनिराजों की चरण रज से हमारा यह नया भवन पवित्र हो । हमने पूज्य मुनिश्री जयन्तीलालजी म० साहब से १६८४ का चातुर्मास हमारे इस नवीन भवन में करने के लिये विनति की । X पूज्य मुनिश्री ने सानुग्रह कृपाकर अपने सुशिष्य वाणीभूषण पूज्य गिरीशचन्द्रजी म. तथा साहित्यरश्मि जिज्ञेश मुनिजी म. को चातुर्मास करने की आज्ञा प्रदान की । इस भवन में प्रथम चातुर्मास होने से बहुत ही धर्मोद्योत हुआ । हमारे समस्त परिवारों ने भी पूरा लाभ उठाया । हमें आशा है भविष्य में भी हमारे इस ग्रहिंसा भवन में विविध धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न होते रहेंगे तथा पवित्र वीर वाणी व जयनाद से इसका सभागार गु ंजित होता रहेगा । निवेदक मंत्री. कलकत्ता पंजाब जैन सभा
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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