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________________ ( १६७ ) (५) गरणी (गरण की व्यवस्था का संचालन करने वाले) (६) गरणधर (गरणका संपूर्ण उत्तरदायित्व ) निभानेवाले । उ. (७) गरगावच्छेदक (संघकी संग्रह - निग्रह आदि व्यवस्थाओं के विशेषज्ञ ) प्र. १६५ म. स्वामी ने धर्म संघकी स्थापना कर किस ओर विहार किया था ? राजगृही नगर की ओर । उ. प्र. १६६ म. स्वामी ने राजगृही नगर में कहाँ स्थिरता की थी ? राजगृही नगर के बाहर गुणशील चैत्य में अपने विशाल धर्म संघ के साथ यहीं आकर विराजित हुए । उ प्र. १६७ म. स्वामी के दर्शनार्थ कौन-कौन आये थे ? राजगृही नगर के महाराजा श्रेणिक, महारानी धारिणी, महारानी चेलरणा, प्रभय कुमार और विशाल राज परिवार के सदस्य प्रभु के दर्शन करने आये । प्र. १६८ म. स्वामी के ग्रागमन का संवाद सुनकर किसे जिज्ञासा हुई थी ? 4
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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