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________________ ( १५८ ) प्र. ३७६ म. स्वामी का एक बोल क्यों पूर्ण नहीं हुआ था ? प्रभुको पधारते देखा तो, उसका रोम-रोम नाच उठा, दुःख की भीषण ज्वाला के बीच सुख की यह मधुर वयार उसके तन- मनको प्रफुल्लित कर गई । प्रभु के दर्शन कर चन्दना हर्ष विभोर हो गई, परिणामत: उसके आँसू सूख गये और इस प्रकार अभिग्रह अपूर्ण देखकर प्रभु वापस लौट गये । प्र. ३५० म. स्वामी के वापस लौटने पर चन्दना को क्या हुआ था ? 3. a उ. प्रभु को वापस लौटते देखकर चन्दना की आँखें अपने दुर्भाग्य पर बरस पड़ी । प्र. ३८१ म. स्वामी ने अभिग्रह पूर्ण होने पर किससे आहार दान लिया था ? उ. चन्दना की आँखों में धारा देखकर प्रभु वापस लौट गये । उन्होंने चन्दना के हाथों से आहार दान लिया | प्र. ३८३ म. स्वामी ने अभिग्रह पूर्ण होने पर किससे पाररणा किया था ?
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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