SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६५ ) प्र. २१६ म. स्वामी और गौशालक को देखकर मेघ ने क्या किया ? मेघ ने महावीर को क्षत्रिय कुड में सिद्धार्थ राजा के घर पर देखा था। उसने पहचान लिया। इस निर्मम पिटाई और क्र र बन्धन को देखकर उसे अपने अपकृत्य पर पश्चात्ताप होने लगा लगा। आँखों आँसू बहाते हुए वह प्रभु के चरणों में गिर पड़ा। 'हे प्रभो! क्षमा कीजिये । आपको नहीं पहचानने से यह घोर अपराध हो गया है । हम बड़े अधम और नीच हैं, जो आप जैसे महापुरुष को कष्ट देने से नहीं चूके ।" प्र. २२० मेघ और कालहस्ती कौन था ? कलवुका सन्निवेश के अधिकारी थे। यद्यपि वे वहाँ के जमींदार थे, पर पास-पड़ोस के राज्यों में जाकर डाका भी डालते थे। प्र. २२१ म. स्वामी ने पंचम चातुर्मास कहाँ किया था। उ. भद्रिका नगर में । प्र. २२२ म. ने पंचम चातुर्मास में क्या तप किया था ? उ. . चारमासी तप ( १२० दिन का एक साथ ..। . उपवास ) ।
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy