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________________ ( ६३ ) आई। देखते ही वे श्रमरण महावीर को पहचान गई । आरक्षकों को डाँटते हुए कहा- "अरे ! तुम क्या अन्याय कर रहे हो ? ये तो प्रभु वर्द्धमान है, महाराजा सिद्धार्थ के पुत्र ! गृहत्याग करके मौन साधना कर रहे हैं ।" प्र. २११ म. स्वामी का परिचय पाकर आरक्षकों ने क्या किया था ? प्रभु का परिचय पाते ही आरक्षकों को पसीना छूट गया। वे कांपते हुए उनके चरणों में गिर पड़े और अपराध के लिए क्षमा मांगने लगे । प्र. २१२ शोभा और जयन्ती परिव्राजिकाएं कौन थीं ? निमित्त शास्त्री उत्पल की दोनों बहनें थीं । प्र. २१३ म. स्वामी ने चतुर्थ चातुर्मास कहाँ किया था ? पृष्ठ चम्पा नगर में । उ. उ. प्र. २१४ म. स्वामी ने चतुर्थ चातुर्मास में क्या तप किया था ? चारमासी तप । १२० दिन का उपवास ( एक साथ चार मांस तक उपवास ) । * प्र. २१५ म. स्वामी ने चतुर्थ चातुर्मास के बाद किस और विहार किया था ? उ. उ.
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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