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________________ 1 ८७ ) प्र. १८४ म. स्वामी ने सुवर्णखल से किस ओर विहार किया था ? उ. ब्राह्मणकुड ग्राम की ओर । प्र. १८५ म. स्वामी ने ब्राह्मणकुड में कौनसा तप किया था ? उ. छठ्ठतप ( दो दिन का उपवास ) । प्र. १८६ म. स्वामी ने छट्टतप का पारणा किसके यहाँ किया था ? उ. नंद श्रावक के यहाँ । प्र. १८७ म. स्वामी ने छठ्ठतप का पारणा किससे किया था ? दही मिश्रित भात से । उ. प्र. १८८ म. स्वामी ने तृतीय चातुर्मास कहां किया था ? चम्पानगर में । उ. प्र. १८९ म. स्वामी ने तृतीय चातुर्मास में कौन सा तप किया था ? उ. उ. मासखमण तप ( ३० दिन का उपवास ) । प्र. १६० म. स्वामी ने तृतीय चातुर्मास में कितने मास- खमरण किये थे ? दो ।
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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