SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 321
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री कुन्थुसागर स्वाध्याय सदन का , अगला भव्य प्रकाशन .. अभूतपूर्व अदृष्टपूर्व साङ्गोपाङ्ग सिद्धिदायक . सचित्र भक्तामर महाकाव्य मूल्य काव्य खण्ड-अन्वय, सस्कृत टीका, भाषानुवाद, भावार्थ, विशिष्ट प्रवचन / (2) भाषा पद्यानुवाद खण्ड-हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती मराठी, कन्नड, आदि भाषाओ के लगभग 60 पद्यानुवाद (3) कथा खण्ड-संस्कृत की कथायें, पौराणिक कथानको का औपन्यासिक ढग से नवीनीकरण, तथा पद्यमय कथायें सचित्र / हिन्दो तथा सस्कृत मे (4) पंचाङ्ग विधि खण्ड-सशोधित ऋद्धि, मन, तत्र,, यन्त्र साधन विधि, फलाम्नाय सहित / (5) यन्ताकृति खण्ड-प्रत्येक काव्य की दो तरह की सुन्दर मुसज्जित नवनिर्मित यताकृतियाँ। (6) पूजा विधान खण्ड-भक्तामर महामण्डल पूजा-विधान . सचित्र / तीन आचार्यों की तीन कृतियाँ। अपूर्व विशेषता-काव्यगत प्रत्येक श्लोक के भावाडन कराने वाले मुगलकालीन 500 , वर्प प्राचीन 50 ऐतिहासिक चित्र ग्रन्थ की कुल पृष्ठ सख्या 750 के लगभग। इस ग्रन्थराज को जोदानी धर्मात्मा छपाना चाहे सम्पर्क स्थापित करे। व्यवस्थापक—कुन्थुसागर स्वाध्याय सदन खुरई (सागर) म०प्र०
SR No.010408
Book TitleMahavira Chitra Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalkumar Shastri, Fulchand
PublisherBhikamsen Ratanlal Jain
Publication Year
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy