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________________ आज का जन-जीवन अध्यवसाय के लिये इतना व्यस्त और व्यग्र एव अध्यवसायी सा दिखाई दे रहा है कि स्वाध्याय की तो वात दूर, ग्रन्थो के पन्ने पलटना भी उसे मँहगा पडता है। आकर्षणो पर मुग्ध सौन्दर्य पिपासु नयनो को तो चित्रकला ही ज्ञान चेतना की जागृति का सर्वोत्कृष्ट माध्यम हो सकती है। शिक्षित और अशिक्षित, बुद्धिजीवी और श्रमजीवी दोनो के लिये ही चित्र-लिपि एक ऐसा मौन मुखर काव्य है जो केवल दर्शन मात्र से ही पूरा का पूरा पढ लिया जाता है। मूर्ति दर्शन क्या है ? सहज ही शीघ्रता से पढा जाने वाला वह दर्शन काव्य जो चिन लिपि मे लिखा गया है। यही कारण है कि जगत मे चित्रों और मूर्तियो की सार्वभौमिकता अपेक्षा कृत अधिक प्रशस्त है। इसी तथ्य को लक्ष्य मे रखकर हमने सर्व साधारण को भगवान महावीर के आमूल चूल जीवन वृत्त से परिचित कराने के लिये उनका यह चित्रमय इतिहास अकित करने का दुस्साहस किया है । हो सकता है इसके पूर्व भी अनेकों प्रयास हुए होसमानान्तर स्तर पर अभी हो रहे हो, परन्तु अपनी मौलिकता के प्रमाण स्वरूप इतना कहना ही पर्याप्त है कि हमने इसमे उन सभी चित्रो का सकलन किया है जो भगवान महावीर स्वामी की अतीत कालीन पर्यायों से सम्बद्ध हैं । शास्त्राधार पूर्वक वनाये गये ये कल्पना चित्र इतिहास की बेजोड झाँकियाँ हैं। अन्तिम भव सम्बन्धी महावीर श्री के जीवन चिन्न अवश्य ही विपुलता से प्राप्त होते हैं, उनकी श्रङ्खला मे भी हमने यथा संभव वृद्धि करने का प्रयास किया है। ध्वज प्रतीकादिक के वे सभी चिन जो अखिल भारतीय निर्वाणोत्सव महा समिति ने निर्धारित एव प्रचारित किये है इसमे समाविष्ट करने का प्रयत्न भी हमने किया है। चिनो का भावाकन इतना सुस्पष्ट हुआ है कि उनकी मूक मौन मुद्रा को भग करने का साहस ही नही
SR No.010408
Book TitleMahavira Chitra Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalkumar Shastri, Fulchand
PublisherBhikamsen Ratanlal Jain
Publication Year
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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