SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आज भौतिकता के घने काले बादलो ने आध्यात्मिकता के सूर्य को ढक कर समस्त भूमण्डल को नास्तिकता के वातावरण भर दिया है । अन्याय, अनीति, भ्रष्टाचार, असत् अधर्म का दुःशासन धर्म की सहिष्णुछाती पर निरन्तर मूग दल रहा है । ऐसे ही युग मे २५०० सौ वर्ष वाद यदि परि निर्वाणोत्सव विश्व व्यापी धूमधाम लेकर आ ही रहा है तो हर अन्तरात्मा की आवाज है कि यह वर्ष आध्यात्मिक सत्क्रान्ति की ऐसी तूफानी लहरें छोडे कि वर्तमान और भावी पीढी का युगो पुराना पापपक एक ही वार में प्रक्षालित हो जावे । आज शासन प्रभावना की अपेक्षा युगीन क्रान्ति का महत्व अधिक है । हमे स्मरण है कि विगत दिनो स्वतन्त्र भारत ने केन्द्रीय शासन के सवल पर बुद्ध महा - परिनिर्वाणोत्सव भी अन्तर्राष्ट्रीय धूमधाम से सम्पन्न किया था । उसके परिणाम की धूमिल स्मृति भी आज नि शेष हो गई है । भय है कि कही यही हाल पच्चीस सौवें वीर परि निर्वाणोत्सव का न हो । यद्यपि सघ एव राज्य सरकारे और जैन समाज के विविध सम्प्रदाय विभिन्न स्मारकीय परियोजनाओ द्वारा भगवान महावीर के अमर गीत गा रहे हैं, परन्तु उन गीतो मे अपने प्राण घोलने वालो का आज भी अभाव है । इस वीर परिनिर्वाणोत्सव की सार्थकता तो आध्यात्मिक युगीन सत्क्रान्ति से ही सभव है । * विविध बृहत् योजनाओ की इस भूमिका मे साहित्य प्रकाशन योजनाएँ भी वडे पैमाने पर अपना योग दान दे रही हैं । यह एक ऐसा सरल रचनात्मक कार्य है जिसकी इति श्री लेखन और प्रकाशन पर ही सुगमता से हो जाती है। आगे वाचन-पठनमनन उनका होता है या नहीं इसकी कोई चिन्ता की ही नही जाती और न तद्विषयक योजनाएँ भी बनाई जाती । असली रचनात्मक कार्य तो जीवन-निर्माण है— इसे कौन समझावे ?
SR No.010408
Book TitleMahavira Chitra Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalkumar Shastri, Fulchand
PublisherBhikamsen Ratanlal Jain
Publication Year
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy