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________________ ११४ देखिये न, जहाँ भी थोडी सी आशा की झलक दिखाई देती है, उसी ओर उसकी टकटकी लग जाती है। कितना पंगु-पराधीन है आज का विश्व । क्या कारण है कि अधिकांश विश्व की आँखे आज भारत पर लगी हुई है ? अशान्त विश्व आज क्यो भारत से शान्ति की आशा कर रहा है ? इसलिए नही कि एक ही व्यक्ति की आवाज ने अपने राष्ट्र मे क्रान्तिकारी परिवर्तन ला दिया। अहिसा से! शक्ति से | ! सत्य से ।।। और जिस मृतात्मा का सन्देश आज विश्व के मस्तिष्क मे अपना घर कर रहा है उस युग पुरुप को अहिसा और शान्ति का वरदान देने वाली आखिर यह प्रेरणा आई कहाँ से ? किस अतीत के एव कौन से वीजाङ्क र इस भारत की पावन भूमि पर डले रहे जिन्हे आज हम फलीभूत होते देख रहे है ; तो कहना नहीं होगा कि किसी युग नायक ने ही युग नायक को जन्म दिया होगा और फिर वह युग नायक भी कितना महान् नही होगा कि जिसने सारे युग को बदलने के साथ ही अपने को बदलकर परमात्म-पद की प्राप्ति की। स्व कल्याण और पर कल्याण की प्रतीक वह विशुद्ध महान् आत्मा हमारे लिए त्रिकाल वन्दनीय है सस्मरणीय है। अतीत युग का कल्याण यदि उनके उस पावन पौद्गलिक शरीर । से हुआ तो वर्तमान का कल्याण भी उनके उन्ही हितकारी सन्देशो से होगा-जो आज हमारे पास अतुल निधि के रूप मे-- धरोहर के रूप में विद्यमान है और जिनके जीते-जागते आदर्श आज हमें देखने को मिलते है। जैनधर्म की प्राचीनता आज के इतिहास मे नवीन-नवीन खोजो के कारण यह तथ्य निर्विवाद रूप से स्वीकार कर लिया गया है कि जैनधर्म अपेक्षा
SR No.010408
Book TitleMahavira Chitra Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalkumar Shastri, Fulchand
PublisherBhikamsen Ratanlal Jain
Publication Year
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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