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________________ women महावीर चरित्र । दक्ष है, तथा जिसको प्रतिवादीगण कभी जीत . नहीं सकते, वह श्री निनशासन जयवंता रहो ॥ ३ ॥ अंयकता अपनी अशक्ति दिखाते हैं____कहां तो उत्कृष्ट ज्ञानके धारक गगधर देवोंका कहा हुआ वह . पुराण, और कहां गड़बुद्धि में । जिस समुद्रके पारको मनके समान वेगका धारक गरुड़ पा सकता है क्या उसको मयूर भी पा सकता है? कभी नहीं ॥४॥परन्तु तो भी यह पुण्याश्रवका कारण है इसलिये अपनी शक्तिके अनुसार श्री वर्द्धमान स्वामी के चरितको कहनके लिये मैं उद्यत हुआ हूं। नो फलार्थी हैं उनके मनमें इष्ट कार्य के विषयमें यह भानं भी कभी नहीं होता कि यह दुष्कर है ॥ ५॥ . _ जिस प्रकार विट पुरुष अर्थक–धनके अपव्ययकी अपेक्षा नहीं करता उसी प्रकार कवि भी अर्थकी (वाच्य पदार्थकी). हानिकी अपेक्षा नहीं करता। जिस प्रकार विट पुरुप वृत्तमंग (ब्रह्मचर्य आदि व्रतोंके मंग) की अपेक्षा नहीं करता उसी प्रकार कवि भी वृत्तमंग (छन्दोमंग) की अपेक्षा नहीं करता । जिस प्रकार विट पुरुष, संसारमें अपशब्द (अपयश) की अपेक्षा नहीं करता उसी प्रकार कवि भी अपशब्द (खोटे शब्दोंके प्रयोग) की अपेक्षा नहीं करता ! इसी तरह दोनों कष्टकी भी अपेक्षा नहीं करते। . __ इस प्रकार कवि क्या और वेश्याको अपने हृदयका अर्पण करनेवाला विट पुरुष क्या, दोनों समान हैं। क्योंकि रसिक वर्ताव दोनोंको ही मूढ़ बना देता है । भावार्थ-वर्णन करते हुए मुझसे यदि कहीं पर वर्णन करने योग्य विषय छूट नाय, अथवा छन्दोमङ्ग
SR No.010407
Book TitleMahavira Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchand Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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