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________________ RANAINIRE SCHLOSSESSOSTS AMA मेत्तं च वीसमिऊण माहवीलयाहरे निरुधिग्गहियया विविहकहाओ कहेमाणा संपट्ठिया गंतुं, गच्छंताण यी जाए रयणिसमए गोभद्देण भणियं-अज ! कलयंठकंठसच्छहा समुच्छलइ तिमिररिंगोली न लक्खिजति संपयं निण्णुण्णया महिमग्गा निद्दावसविसंठुलाई घुम्मति लोयणाई पयत्तसंचालियावि न चलंति चलणा, ता गच्छह गामे, कुणह वीसामंति, विजासिद्धेण भणियं-सोम! सिग्धगईए एहि मुहुत्तमत्तं, कि गामपवेसणकजं, गोभद्देण भणियं-एवं हवउत्ति । ताहे जाममेत्तं अद्धाणमइलंधिऊण ठिया एगत्थ पएसे । तयणंतरं च। विजासिद्धो आबद्धपउमासणो निरुद्धसमीरप्पयारो झाणं काउमारद्धो, अह--- | कणगकलसकलियं रणंतमणिकिंकिणीनिवहरम्मं । सुसिलिट्ठलढथिरथोरथमसोहंतवरसालं ॥१॥ सुविभत्तचित्तरेहंतवेइगावलयलीढपेरंतं । बज्झपएसनिवेसियमहल्लपलंकसोहिलं ॥२॥ गयणाओ अहापवर विमाणमेगं समोयरेऊणं । विजासिद्धस्स पुरो लहुं निविट्ठ धरणिवढे ॥३॥ __ अह तत्तो नीहरिऊण दिप्पंतमणिमउडलंकियसिरा विमलकुंडलकंतिविच्छुरियगंडयला पवरमुत्तासरिविराइयसिरोहरा हारलयाच्छाइयथणकलसा पंचराथमणिकंकणमंडियकोमलबाहुलया रोमावलीसणाहमुट्ठिगेज्झमज्झमाग-1 देसा रसणादामसंगयनियंवफलया नियंसियपंचवन्नदिवसा झंकारमणहरमणिनेउराणुगयचलणा हरियंदणरसचिच्छुरियसरीरा अप्पडिमरूवा एगाए समाणरूवजोवणाइगुणालंकियाए विलयाए अणुगम्ममाणा समागया विला A LESIRASANNADACITHumanasanasamaARUNSARIDAINIKHARINAMASTERACANCHINE RDANARAS an HOMEMEENA
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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