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________________ - .. " ' ) Paisa --- -- गंतूर्ण पुच्छह एयस्स चेव भजं, सा तुम्ह साहिस्सइत्ति, एयमायन्निऊण पधाविया तग्गिहाभिमुहं, इओ य-सा अच्छंदयस्स भजा तदिवसं तेण पिट्टिया, बाढं पओसमावन्ना चिंतेइ-सोहणं जायं जं तस्स अंगुलीओ छिन्नाओ जणेण धिकारिओ य, तहा इयाणि जइ गामो एइ ता सर्व दुस्सीलयं पयडेमित्ति विगप्पंतीए संपत्तो गेहंगणे गामजणो पुच्छिउं पवत्तो य, सा भणइ-मा इमस्स कम्मचंडालस्स नामपि गिण्हह, जओ एस नियभगिणीए सहोयराए। हसद्धिं विसए अणुभुंजइ, ममं निच्छइत्ति, एवमायण्णिऊण ते उकिट्ठीसिहनायं कुर्णता नियनियगिहेसु गया पण्णवेति- । जहा एरिसो तारिसो सो महापावोत्ति, एवं सो अच्छंदओ जणेण अवमाणिजमाणो कयवंभणहचो इस अपेच्छिजमाणो लुक्खभिक्खाकवलंपि अपाबमाणो एगया गंतूण जिणनाहं सकरुणं जोडिय करसंपुडं च भणिउमाढत्तो देवजय ! वजेसं निवासमिह तं महाणुभावोऽसि । ठाणंतरेवि तुझं पूयामहिमं जणो काही ॥१॥ ___ अन्नत्य गओऽहं पुण कित्तिमकणगं व नेव अग्यामि । सदरीए चिय गोमाउयस्स सूरतणं सहई ॥२॥ तुह पुरओ जो विहिओ दुविणो देव ! मूढहियएणं । सो मं दढकुविणकयंतदंडघाओव दुक्खवइ ॥३॥ एवं भगमाणे अच्छंदगे अचियत्तोग्गहोत्तिकलिऊण सबस्सापत्ति(पीति)परिहारपरायणो भयकं नीहरिऊण मोराग-8 सन्निवेसाओ उत्तरवाचालाभिमुहं पत्थिओ, अह मग्गे वच्चमाणस्स दक्षिणवाचालसन्निवेसं समइकंतस्स उत्तरवाचालसंनिवेर्स च अपावमाणस्स अंतरा सुवण्णाकूलाभिहाणाए महानईए पुलिणं वोलिंतस्स भगवओ महावीरस्त खंघाब -- RECRUSHOROSSESSAGE - 5 AIDEHATTARAIPAT -661561 500 ।
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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