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________________ CCCCC H गुणचंद तं पुण पाविसं ?, सिद्धत्थेण भणियं-एयस्स चेव पुरोहडे महिसिंदुनामस्स पायवस्स पुरथिमेणं हत्थमेत्तं गंतूण | भूमिनिहित उक्खणिऊण गिण्हसुत्ति वुत्ते सो कम्मारओ लोगेण समं गो जहोवइट्ठपएसे, आगरिसिऊण गहिय त पापण्डिविद्वयं, हलबोलं कुणंतो य जणो पडिनियत्तो जिणस्स अंतिए । तयणंतरं च पुणो सिद्धत्येण भणियं-अन्नपि सुणेह, अत्थि किमिह इंदसम्मो नाम गाहावई ?, जणेण भणियं-अस्थि, एत्यंतरे सो इंदसम्मो निषयनाममुक्कित्तिजमाणं है सोऊण रायमेव उवढिओ भणइ-आणवेह सो अहंति, सिद्धत्थेण भणियं-अस्थि मह! तुझ पुवकाले ऊरणगो । पणहो?, तेण भणियं-अस्थि, सिद्धत्थेण भणियं-अरे एएण अच्छंदएण सो हणिऊण खाइजो, अहियाणि से उखुदारुडियाए बदरीए दाहिणे पासे उज्ञियाणि अजवि चिट्ठति, जइ कोऊहलं ता अजवि गतूण पेच्छहति बुत्ते वेगेणी धाविया तदभिमुहं, अछियाणि पलोइयाणि, कलकलं करेंता आगया जिणसगासे, पुणरनि सिद्धत्येण भणिय-एवं दुइजं दुचरियं, अन्नपि तइजं अस्थि, परं नाहं कहिस्सं, ते य एयमायन्निऊण गाढं निबंध काऊण पुच्छिउमारद्वा, कहं ?-- देव! पसीय महापहु पुणोवि अण्णं न पसिणइस्सामो । अद्धोवइटमेकं एवं अन्हं निवेएर ॥१॥ जह जह न साहइ सुरो तह तह पुच्छंति आउला धणियं । सचं जायं एवं जमद्धकहियं हरइ हिययं ॥ ॥ एवं निबंधपरेसु तेसु सिद्धत्येण भणियं-अरे मा तरलायह, अम्ह अभासणिजमेयं, जइ अवस्वं सोयन ता प्रवाशामायाSELIA -SS- -5- X-- 980 -- - - -- 05-2 meas - N ---- CE
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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