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________________ SC 64 - - - श्रीगुणचंद । निरुवेह पहारपरब्बसे जोहनिवहे करेह ओसहघायवंधाइणा परित्ताणं परिमग्गह दुद्वतुरंगमपल्हथिए पत्थिवेत्ति-1 त्रिखण्डमहावारचा सम्म निउंजिऊण(अंतेउरेण)समं समग्गनरवइवग्गपरियरिओ समेओ पोयणपुरं, तणो नयरलोएण कयं वेजयंती, साधनं सहस्साभिरामं ठाणठाणनिबद्धर्मचारूढविलासिणीनद्वरमणिजं पमुक्कसुरभिपुष्पमुजोवयारकलियरायमग्गं पहयपड- कोटाशि ॥५९॥ पडहपमुहजयतूरनियरं नयरं पविठ्ठो महया विभूइए तिविहू, जहोचियठाणेसु ठिओ सेसो परिवारो । तो कइवय 15/वासराई तत्थ ठाऊण पुणोऽवि समग्गवलकलिओ चक्कछत्तधणुमणिमालागयासंखरयणपरिगो निग्गओ दिसि-18 विजयनिमित्तं तिविठ्ठ, कमेण पसाहियं भारहद्धखेत्तं, अपणयपुव्वा नामिया पत्थिवा, गाहिया सेवावित्ति, गहियाई तेहिंतो करितुरयरयणपमुहाई पहाणपाहुडाई, एवं च नीसेसमंडलाहिवसहस्साणुगम्ममाणमग्गो पेच्छंतो अपुवापुवनयराई ठावितो अंगवंगकलिंगाइसु अन्नन्ननरिंदे पत्तो मगहाविसए, तहिं च दिट्ठा कोडिगुरिसवोझा महा-131 सिला, सा य भुयवलावलेवओ लीलाए वामभुयदंडेण उक्खिविऊण छत्तगं व धरिया सीसोवरिं, अतुलियवलावलोयरणहरिसुप्फुल्ललोयणेहि य कओ नरवईहिं जयजयारखो, पढियं च मागहगणेहिं, कहं ? देव! मणालागारो तुज्झ करो कलियरुंदकोडिसिलो । सिरिधरियधरणिवहस्स वहइ सेसस्स समसीसि ॥१॥ ४ तुह एवंविहलीलाइएण चित्तं न कंपए कस्स । जइ सव्वहावि पत्थरविणिम्मिओ होज सो न जणो? ॥२॥ इय मागहेहिं णेगप्पयारवयणेहिं संथुणिजंतो। मोत्तूणं कोडिसिलं चलिओ राया सपुरहुत्तं ॥३॥
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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