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________________ भगवान महावीर। परन्तु यदि ऐसा होता तो. नैनियोंके दिगम्बर और श्वेताम्बर अन्थोंमेसे किसीमें इसका उल्लेख अवश्य होना चाहिए था। (See The Life of Mahavira P. 16-17.) और दूसरी और स्वयं बौद्धोंक "महावग्ग" नामक ग्रन्थमें उल्लेख है कि एक मरतवा बुद्ध कोटिगाम्ममें ठहरे थे, जहां नाथिक लोग रहते थे। बुद्ध जिस भवनमें ठहरे थे उसका नाम "नाधिक-विक हॉल" था । वहाँसे वह वैशाली गए थे। कोटिगाम्मकी और कुन्डगाम्मकी सादृश्यता और नाथवंशीय क्षत्रियोंका उस ग्रामसे संबंध होना प्रमाणित करता है कि यह दोनों ग्राम एक थे। यही मत सर रमेचन्द्र दत्तका था, जो अपने 'प्राचीन भारतवर्षकी सम्यताके इतिहास' मे प्रगट करते हैं कि "यह कोटियाम वही है जो कि जैनियोंका कुण्डग्राम है और वौद्ध ग्रन्थोंमे निन नातिकोंका वर्णन है वे ही ज्ञात्रिक क्षत्रिय थे।" इसलिए कुन्डल ग्राम ही भगवानका जन्न स्थान था, यद्यपि वर्तमान कुंडलपुर राजग्रहके पास है परन्तु वह ठीक स्थान नहीं है। - - - ANS .. L T LADALA
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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