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________________ भगवान महावीर। हैं कि "हिन्दू धर्मपर बुद्ध धर्मकी अपेक्षा जैनधर्मका अधिक प्रभाव पड़ा है और भारतमें बौद्धोंकी अपेक्षा जैनोंकी संख्या बहुत अधिक है।" इसी बातको पुष्ट करते हुए सत्याग्रह आश्रम साबरमतीके गुजराती विद्वान मि० के० जी० मशरुवाला लिखते हैं कि “इन (महावीरजी) के धर्मके परिणामसे वैदिक धर्ममें भी 'अहिसा' परम धर्म माना गया, और शाकाहारका सिद्धान्त अधिकांशमें हिन्दू जनताने स्वीकार किया ।" (देखो, 'बुद्ध अने महावीर' पृष्ट ९२०) साथ ही दिगम्बर जैन साधुओके चारित्रका प्रभाव भी हिन्दू सन्यासियों पर पड़ा प्रतीत होता है; क्योंकि फ्रेंचइंडियामें रहे हुए एक जन और फ्रेंच लेखक मि० लुई जैकोलियट साहबने अपनी एक हिन्दू ग्रन्थ "अग्रोनचड-परिकचै" (Agronohade Parikchai) के आधार पर लिखित "दी ऑकल्ट साइन्स इन इंडिया" नामक पुस्तकमें ऐसी बातोंका वर्णन किया है, जिनसे प्रगट होता है कि हिन्दू सन्यासियोने जैन मुनियोका अनुकरण किया था जैसे उसमें लिखा है कि "सन्यासी नग्न रहते थे" (पत्र ७१) "सन्यासियोंको नहां वह अपना पग रक्खें वहांका ध्यान करके उसको पवित्र करें, और अपने पीनेके पानीको उसे साफ कर लेना चाहिए जिससे जीवोंकी हिसा न हो (पत्र ७४)" "योगीको आहार लेते समय बैठना न चाहिए (पत्र ८३)।" यह सर्व नियम जैनाचारके नियमोमें गर्मित हैं। बौद्धधर्मके विषयमे भी कहा गया है कि तब और अबके बाह्याभ्यन्तर बौद्ध धर्ममें नमीन आस्मानका अन्तर पड़गया है। बाह्यमें तो हम जानते हैं कि उनमे शाखाएं पड़ गई
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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