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________________ भगवान महावीर । . . ( २१) . · इन्द्रमति गौतम। त्रैकाल्यं द्रव्यषट्कसकलगणितगणाःसत्पदानवैव। विश्व पंचास्तिकायतसमितिविदासप्तनत्वानि धर्म सिद्धे मार्गस्वरूपं विधिजनितफल जीवषट्काय लेश्या एतान्या श्रद्धधातिजिनपचनरतो मुकिमामीसभव्यः भगवान महावीरके म्यारह गणधर थे, जिनमें मुख्य इन्द्रभूति गौतम थे। ये सर्व गणधर अन्य धर्मोसे जैन धर्ममें आए थे। भगवानके सम्यक् उपदेशको श्रवण करके इनको जैन धर्ममें श्रद्धान हुआ था । अस्तु, यह विद्या सर्व भगवानके मोक्ष प्राप्त कर लेने के पश्चात् इन्होंने ही धर्मका प्रचार चालू रखा था। भगवान महावीरके मुख्य गणधर इन्द्रभूति गौतम व मुमति नामक ब्राह्मणके पुत्र थे। यह पाराङ्गत विद्वान थे। हिन्दू शास्त्रोके ज्ञाता थे और वेदादिके पारगामी पंडित थे। इस कारण इनको अपनी विद्यापटुताका बड़ा गर्व था। भगवान महावीरको केवटज्ञान प्राप्त होनेपर सहसा वाणी नहीं खिरने लगी थी। देवोका इन्ट जो उस समय भगवान के निकट अवस्थित था, उसने अपने अवधिज्ञानसे जान लिया कि गणघरके न होनेसे भगवानकी टिव्यवनि नही होरही है। और यह भी जान लिया कि गौतम नामक ब्राह्मण विहाद ही भगवानका गणधर होगा। इसलिए स्वयं इन्द्र ही उस ब्राह्मग विहानके निकट गया था।
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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