SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६ भगवान महावीर । • करते हैं कि भगवान महावीरने केवलज्ञान प्राप्तिके पहिले बारह वर्ष तक दुर्धर तपश्चरण किया था, और भारतवर्षके विविधस्थानों पर भ्रमण किया था । परन्तु इस भ्रमण वृतान्तमे दोनोंमें मतभेद है। दीक्षाके उपरान्त आपने छै महीनेका तप धारण किया था जिसमें आप निश्चल व्यानारुड़ रहे थे। इसके पश्चात छे महीनेके अन्तमें आप आहार हेतु कूलपुर नामक ग्राममें गए थे। वहांके कूल नृपने' आपको विनयके साथ आहार कराया था। दीक्षा ग्रहण करनेके बाद प्रथम पारणा आपका यही हुआ था । कूलपुर और कूल नृपके विषयमें शास्त्रोमें कुछ विशेष वर्णन नहीं है। महावीर चरित्रमें केवल इतना उल्लेख है कि (टष्ट २५९ ) " एक दिन महान सत्वपराक्रमसे युक्त वीर भगवानने जव कि सूर्य आकाशके नव्यभागमें आगया उस समय बड़े महलोंसे भरे हुए कूलपुरमें पारणाके लिए अर्थात् उपदासक्के अनन्तर आहारके लिए प्रवेश किया । कूल यह पृथ्वीमें प्रसिद्ध है नाम जिसका ऐसा एक राजा उस नगरका स्वामी था ... उसने भगवानको आहार करनेके लिये ठहराया । " इस ग्रन्थले पहिलेका संकलित गुणभद्राचार्य कृत उत्तरपुराणकी हिन्दी छन्दोबद्ध वृत्तिमें इस विषय में इस प्रकार उल्लेख है कि:" अव भटारक तन थित काज | अशन निमित्त उठे महाराज ॥ कूल नामपुरमें जव गया । कूलमूप जिनको लख लिया || " इस वर्णनसे इन कूलनृप और उनके नगर कूल्यपुरके विषयमें कुछ विशेष प्रकाश नहीं पड़ता। यही नहीं जाना जासका कि यह कूलपुर कहां था और यह कूलनृप कौन था, जिसने भगवानको प्रथम आहार देकर असीम पुन्य सचय किया था | "
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy