SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १४२ ) पट्टा देख नामा मंडाया और यांने मान्या है सो ठाका भाई सांगा. वत होवो सो याने मानोगा दुबे काका सिर्वासहजी सं० १६८७ का चैत्र सुद७ नकल परवाना दि० बेड़ा गोडवाड़ (मारवाड़) का - ■ अज ठिकाणे बेड़ा ता० २४-११-३० ई० मोहर छाप युक्त कुलगुरु इंद्रचंदजी दीपचंदजी रा वास सांडेराव तथा मारे ठिकाणा रा कुलगुरु हो और अबार मारे ठिकाणा रा नांव वगेरा माडिया है जिनरी सीख में अलावा दूजी सीख रे बन्दूक १ कारतूसी १२ नंबर री दी गई है फकत् दः अब्दुलाखां कामदार ठिकाणा - पंचोली गीसूलाल । ऊपर दर्ज है जो मूजिब महाराणाजी का परवाना व सलूंबर, बेगूं वगैरा उमरावां का पट्टा गुरां मगनलालजी प्यारचंदजी का निवास भींडर (मेवाड़) के पास भी हैं । क्षत्रियों में राठोड़ खांप के कुलगुरु होने का प्रमाण वृजपुरा के कुलगुरां पास जोधपुर महार जाधिराज का परवाना - स्वस्ति श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री गजसिंहजी महा राज कुमार श्री जशवंतसिंहजी मेड़ता कोठायता रोडमल सिकेदार रामदास दीसेसुप्रसाद अठारा समाचार भला छे थारा देजो श्री दरबार रा उपाध्याय श्री भवानीकीरतजी रिखबदेवजी जावे है सो रु ३००) तीन सो कॅट दोय आदमी चार साथे देजो ए कुलगुरु छे सं० १६६२ चेत विद ४ पाये तख्तगढ़ ।
SR No.010402
Book TitleMahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaktavarlal Mahatma
PublisherVaktavarlal Mahatma
Publication Year1945
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy