SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५२) वरदान दिया वैसे ही राजा दशरथ को वरदान दिया उससे श्री रामचन्द्र का अवतार हुआ। इसी तरह श्री मद्भागवत के दशवें । स्कन्ध में श्रीऋपभ देवजी की जन्म कथा में वर्णन किया है कि राजा नाभिराय ने पुत्रार्थ कामना से यज्ञ कराया उससे प्रसन्न होकर साक्षात परब्रह्म अपने समान पुत्र होने का बरदान दिया और ऋषभावतार हुआ । जिनसे भरतादि सौ पुत्रों की उत्पत्ति हुई। फिर देखिये रामयण मे किस्किन्धाकाण्ड मे ब्रह्मा से रच्छ राज नामा वानर का होना व सूर्यके वीर्यम सुग्रीव व इन्द्र के वीर्य से बाली की उत्पत्ति मानी है। और हनूमानजी को वायु पुत्र माना है। इसके उपरान्त वाल्मिकी कृत रामायण में बालकाण्ड मर्ग १७ चाँ श्लोक वाँ "ऋपश्च-महात्मन-सिद्धविद्याधरो रगाइनका वानर योनी में जन्म लेना लिखा है । इसके उपरान्त शिव विष्णु के बीच जनकपुर मे घनुप भङ्ग के समय युद्ध हुआ । उसके लिये "हुँकारेण महास्तन्भिस्तोय त्रिलोचन” फिर भी इतिहासो से यह प्रमाणित होता है कि देवता कइ एक राजाओं की सहायता करने को व इसी तरह इन्द्रादिको की सहायता करने के लिए यहाँ के राजाओं का जाना माना है। उसका एक उदाहरण वाल्मीकि रामायण का देता हूँ। ___ "रावण वरदान से मानी होकर चन्द्रलोक को बिजय करने गया" व दशरथ का इन्द्र की मदद के लिए जाना भी लिखा है। गीता के चौथे व दशवें अध्याय मे श्रीकृष्ण भगवान् ने अर्जन के प्रति आज्ञा फरमाई इमम् विवस्वते योगं प्रोक्तवाहनहमध्ययम् । । विवखन्मनवे प्राह मनु रिक्षवाकवेऽब्रवीत् ॥१॥
SR No.010402
Book TitleMahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaktavarlal Mahatma
PublisherVaktavarlal Mahatma
Publication Year1945
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy