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________________ cu कृषिकर्म और जैनधर्म प्राथमिक भूमिका :::: ():::: जिस प्रकार भारतवर्ष को धर्म-प्रधान देश कहते हुए प्रत्येक भारतीय का मस्तक गौरवान्वित होता है, उसी प्रकार प्राचीन काल से भारतवर्ष कृषि-प्रधान देश भी कहा जाता है । वस्तुतः आध्यात्मिकता की दृष्टि से धार्मिक विवक्षा से यह देश धर्मप्रधान है तो कला-कौशल एवं उद्योग व्यवसाय की दृष्टि से कृषिप्रधान । भारतवर्ष के जितने नाम इतिहास एवं धर्म-शास्त्रों में प्रसिद्ध हैं, उनमें इस पवित्र ऋषिभूमि को 'आर्यावर्त' नाम से भी संबोधित किया गया है । आर्यप्रजा का जिसमें निवास हो वही क्षेत्र आर्य-क्षेत्र, आर्यमूमि तथा श्रार्य - प्रदेश कहलाता है । अस्तुः जैन वाङ्मय की प्राचीनता एवं साहित्यशोधकता श्रति गहन, गूढ़ एवं गवेषणीय है । जैन धर्म जहाँ सूक्ष् - -
SR No.010399
Book TitleKrushi Karm aur Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherShobhachad Bharilla
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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